Morbi Cable Bridge History : गुजरात के मोरबी में रविवार को मच्छु नदी पर बना पुल अचानक (Gujrat Morbi Bridge Collapse) गिर गया। पुल गिरने की बड़ी वजह पुल पर अत्यधिक लोगों का चढ़ना बताया जा रहा है। खबरों की मानें तो पुल पर लगभग 500 से 700 लोग मौजूद थे, जबकि पुल की क्षमता केवल 100 लोगों का भार उठाने की थी। इस हादसे में कई लोग नदी में बह कर लापता हो गए। अब तक क़रीब 134 लोगों की मौत की खबर है। वहीं 100 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। आइए जानते हैं मोरबी के केबल ब्रिज का इतिहास (Morbi Cable Bridge History in hindi)…

मोरबी के केबल ब्रिज का इतिहास – Morbi Cable Bridge History in hindi
यह पुल ब्रिटिश काल के दौरान बनाया गया था। मोरबी में मच्छु नदी पर बना यह पुल साल 1880 में बनकर तैयार हुआ था। इसका उद्घाटन उस वक्त के मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल के हाथों किया गया था। इस पुल को बनाने में करीब़ 3.5 लाख रुपए की लागत आई थी।
ब्रिटेन से आया सामान
इस पुल के निर्माण का सारा सामान ब्रिटेन से आया था। बात करें इस पूल की तो इसकी लम्बाई 765 फीट थी। सरल शब्दों में कहा जा तो ये पुल 1.25 मीटर चौड़ा और 230 मीटर लंबा था। यह पुल भारत के सबसे प्राचीन पुलों में से एक है। इस पुल पर बहुत से पर्यटक घूमने आते हैं। इस पूल पर चढ़ने का मुल्य 15 रुपए निर्धारित किया गया है।
राजा वाघजी रावजी ने बनवाया था मोरबी का पुल
साल 1879 में इस पुल का निर्माण का कार्य मोरबी के राजा वाघजी रावजी ने शुरू करवाया था। राजकोट से 64 किलोमीटर दूर बना यह पुल गुजरात में टूरिज्म का मुख्य केंद्र है। इस पुल की ख़ास बात यह भी है कि इसके निर्माण में ब्रिटेन के इंजीनियर लगे थे, साथ ही पुल निर्माण में लगने वाला अधिकतर समान भी ब्रिटेन से ही लाया गया था। यह पुल अपने दौर में अत्याधुनिक तकनीक का प्रतीक माना जाता था। यह भी पढ़ें : 60 देश जहां बिना वीजा के जा सकते हैं भारतीय
6 महीने पहले दोबारा खोला गया था पुल
यह पुल लंबे समय से बंद चल रहा था। पिछले 6 महीनों से इस पुल की मरम्मत चल रही थी। पुल की मरम्मत का कार्य ओधवजी पटेल के स्वामित्व वाले ओरेवा ग्रुप को सौंपा गया था। इस ग्रुप के साथ नगर महापालिका ने समझौता भी किया था, समझौते के अनुसार, मार्च 2022 से लेकर मार्च 2037 तक पुल की सारी ज़िम्मेदारी इस ग्रुप को सौंपी गई थी। 15 साल के लिए ओरेवा ग्रुप के पास इस पुल की साफ़-सफाई, मरम्मत, सुरक्षा, रखरखाव और टोल वसुलने का अधिकार दिया गया था। पुल पर जाने का टोल 15 रुपए प्रति व्यक्ति रखा गया था।
कहाँ हुई चूक
जिन्दल ग्रुप ने इस पुल की गारंटी ली थी। यह गारंटी 25 वर्ष की थी पर पुल की क्षमता के अनुसार पुल पर एक वक़्त पर केवल 100 लोगों को जाना था। जिस वक़्त हादसा हुआ उस समय पुल पर लगभग 500 से 700 लोग मौजूद बताए जा रहे हैं। अब तक पुल के गिरने की सबसे बड़ी वजह यही बताई जा रही है।
FAQ’s
मोरबी का पुल किसने बनवाया था?
मोरबी के राजा वाघजी रावजी ने
मोरबी का पुल कब बनवाया गया था?
मोरबी का पुल साल 1880 में बनकर तैयार हुआ था।