भारत के राष्ट्रपति 25 जुलाई को ही क्यों लेते हैं शपथ? द्रौपदी मुर्मू ने भी चुनी यही तारीख
भारत ने अपना 15वां राष्ट्रपति चुन लिया है। चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराकर जीत हासिल कर ली है। बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव 2022 में द्रौपदी मुर्मू को कुछ 2824 वोट मिले, वहीं विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को 1877 वोट मिले। इसके बाद अब द्रौपदी मुर्मू 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के राष्ट्रपति 25 जुलाई के दिन ही क्यों शपथ ग्रहण करते हैं?

25 जुलाई को ही शपथ लेने की परंपरा
दरअसल भारत में 25 जुलाई के दिन राष्ट्रपति पद की शपथ लेने की परंपरा नई नहीं कई वर्षों पुरानी है। बता दें कि द्रौपदी मुर्मू से पहले भी जो राष्ट्रपति रहे हैं, वे 25 जुलाई को ही शपथ ग्रहण करते आए हैं। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी 25 जुलाई के दिन ही शपथ ग्रहण की थी। वहीं रामनाथ कोविंद से पहले राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी ने भी 25 जुलाई के दिन ही शपथ ग्रहण की थी।
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पहली बार 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ
भारत में अब तक कुल 9 राष्ट्रपति ऐसे रहे हैं, जिन्होंने 25 जुलाई के दिन ही राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की। इनमें सबसे पहला नाम नीलम संजीव रेड्डी का है। दरअसल देश में जब इंदिरा गांधी की सरकार ने आपातकाल घोषित किया था, उसके बाद पहली बार हुए राष्ट्रपति चुनाव में जनता पार्टी के नेता रहे नीलम संजीव रेड्डी ने 25 जुलाई 1977 के दिन ही राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की थी।
क्यों 25 जुलाई को ही शपथ लेते हैं राष्ट्रपति
अगर साफ-साफ शब्दों में कहा जाए तो इस बात का कोई खास कारण नहीं है कि आखिर भारत के राष्ट्रपति 25 जुलाई को ही क्यों शपथ ग्रहण करते हैं? दरअसल देश के छठे राष्ट्रपति रहे नीलम संजीव रेड्डी से इस परंपरा का जन्म हुआ, क्योंकि सबसे पहली बार उन्होंने ही 25 जुलाई 1977 के दिन राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की। अब ऐसे में उनका कार्यकाल पांच साल बाद 24 जुलाई के दिन समाप्त हुआ। 25 जुलाई 1977 के बाद अब तक कुल 8 राष्ट्रपतियों ने अपना कार्यकाल पूरा किया। यही कारण है कि अगले राष्ट्रपति का कार्यकाल 25 जुलाई से शुरू होता है और वह 25 जुलाई के दिन ही शपथ लेते हैं।