Karwa Chauth 2022 : कब है करवा चौथ ? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Karwa Chauth 2022 : हिन्दू धर्म में पूरे साल कोई न कोई व्रत-त्यौहार होता रहता है। ख़ास कर के सितम्बर से लेकर नवम्बर महीने तक त्योहारों का सिलसिला लगातार चलता रहता है। अक्टूबर के महीने में खासकर के बहुत से त्यौहार होते हैं, खास कर करवा चौथ, दीपावली, छठ पूजा आदि। अक्टूबर महीने को हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से कार्तिक मास कहा जाता है। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का त्यौहार मनाया जाता है।

करवा चौथ के दिन सुहागिने अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती हैं और भगवान गणेश के साथ भगवान शिव, माता पार्वती और करवा माता की पूजा करती हैं, चद्रमा की पूजा इस व्रत में मुख्य रूप से की जाती है। कब है करवा चौथ? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि (Karwa Chauth 2022)…
करवा चौथ व्रत 2022- Karwa Chauth 2022
दिनांक | 13 अक्टूबर2022, गुरूवार |
पूजा मुहुर्त | 13 अक्टूबर, शाम 06:01 से रात्रि 07 बजकर 15 मिनट |
चंद्रोदय मुहूर्त | 13 अक्टूबर, रात्रि 08 बजकर 19 मिनट |
रोहिणी नक्षत्र | 13 अक्टूबर, शाम 06 बजकर 41 मिनट से 14 अक्टूबर, 08 बजकर 47 मिनट तक |
कृत्तिका नक्षत्र | 12 अक्टूबर, शाम 05 बजकर 10 मिनट से 13 अक्टूबर, शाम 06 बजकर 41 मिनट तक |
सिद्धि योग | 12 अक्टूबर, दोपहर 02 बजकर 21 मिनट से 13 अक्टूबर, दोपहर 01 बजकर 55 मिनट तक |
कब है करवा चौथ ? When Karwa Chauth 2022 ?
करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। यह त्यौहार हर वर्ष इसी तिथि को मनाया जाता है। करवा चौथ विजय दशमी के आठ दिन बाद तथा दीपावली से करीब 11 दिन पहले मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्यौहार 13 अक्टूबर 2022, दिन गुरूवार को मनाया जायेगा। चतुर्थी की शुरुआत 13 अक्टूबर को होगी तथा यह तिथि 14 अक्टूबर को समाप्त होगी।
करवा चौथ 2022 शुभ मुहुर्त – Karwa Chauth 2022 Shubh Muhurt
करवा चौथ का व्रत इस वर्ष 13 अक्टूबर 2022, गुरूवार को है। यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस बार चतुर्थी 13 अक्टूबर सुबह 01 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी तथा 14 अक्टूबर को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी।
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करवा चौथ पूजा शुभ मुहुर्त – Karwa Chauth 2022 Pooja Muhurt
करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए रखती हैं। इस व्रत में पूजा विधि और समय का बहुत महत्त्व होता है। 2022 में करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर 2022 को मनाया जायेगा। करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त 13 अक्टूबर को शाम 06:01 से रात्रि 07 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। पूजा की अवधि 1 घंटा 14 मिनट रहेगी।
करवा चौथ पूजन में चंद्रोदय का समय – Karwa Chauth 2022 Moon Rise Time
करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा की पूजा की जाती है। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही सौभाग्यवती महिलाओं का व्रत पूरा होता है। कहते हैं कि यदि चंद्रमा देखे बिना व्रत तोड़ दिया जाए तो यह व्रत पूरा नहीं होता, खण्डित माना जाता है। इस वर्ष करवा चौथ 13 अक्टूबर को मनाया जायेगा। करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का समय रात में 08 बजकर 19 मिनट है।

करवा चौथ 2022 के शुभ योग – Karwa Chauth 2022 Shubh Yog
हर त्यौहार में अलग- अलग तिथियों पर कुछ शुभ योग बनते हैं। इस वर्ष करवा चौथ पर कई बड़े शुभ योग बन रहे हैं। जिनमे पूजा करना और भी अधिक शुभ फलदाई रहेगा। इस वर्ष रोहिणी और कृत्तिका नक्षत्र रहेगा और सिद्धि योग रहेगा। जिस कारण से इस बार करवा चौथ हर वर्ष से अधिक शुभ माना जा रहा है। हिन्दू धर्म में शास्त्रों के अनुसार चंद्रमा करवा चौथ के दिन वृषभ राशि में विचरण करेगा।
इसलिए इस वर्ष करवा चौथ का पूजन खास और शुभ फलदायी माना जा रहा है। इस वर्ष सिद्धि योग की शरुआत 12 अक्टूबर 2022 को दोपहर में 02 बजकर 21 मिनट से होगी तथा 13 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 55 मिनट तक रहेगी। इस वर्ष 13 अक्टूबर को रोंहिनी नक्षत्र रहेगा इसकी शुरुआत 13 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 41 मिनट से होगी तथा रात्रि 08 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। कृत्तिका नक्षत्र 12 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 10 मिनट से शुरू होगा और कृत्तिका नक्षत्र 13 अक्टूबर शाम 06 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
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करवा चौथ व्रत महत्त्व – Karwa Chauth Importance
हिन्दू धर्म में करवा चौथ व्रत का बहुत महत्त्व है। यह व्रत सुहागिन स्त्रियाँ अपने पति की लम्बी आयु एवं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं। यह व्रत कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। इस व्रत को सुहागिन स्त्रियाँ निराजली करती हैं। वह पूरे दिन बिना पानी पिए ही इस व्रत को रखती हैं और शाम को पूजा करने तथा चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत को पूरा करती हैं। कहा जाता है कि चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही यह व्रत पूरा होता है। यदि किसी का व्रत पूरा नहीं होता या किसी कारणवश वह बिना अर्घ्य दिए ही व्रत समाप्त कर देतीं तो उसे खंडित माना जाता है।
उत्तर भारत में यह व्रत बहुत ही अधिक प्रचलित है।कुछ स्थानों पर जिनकी शादी नहीं हुई होती ऐसी लडकियाँ भी अच्छा वर प्राप्त करने के लिए इस व्रत को करती हैं। इस व्रत में भगवान गणेश, माता शिव-पार्वती, करवा माता और चन्द्रमा की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियों को सौभाग्य की प्राप्ति होता है और उनके पति की आयु लम्बी होती है।
करवा चौथ व्रत 2022 पूजा विधि – Karwa Chauth 2022 Pooja Vidhi
करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सुबह 4 बजे से प्रारम्भ हो जाता है। इस व्रत में महिलाएं सुबह 4 बजे से पहले सरगी के रूप में मठरी, मिठाइयाँ और मेवे खाती हैं। इसके बाद व्रत प्रारम्भ होता है जो पूरा दिन रहता है। व्रत के दौरान महिलाएं पानी भी नहीं पीती हैं। करवाचौथ का व्रत निराजली रहना चाहिए। सुबह उठकर स्नान आदि करके भगवान की पूजा करें। शाम के समय स्त्रियाँ नए कपड़े पहनें श्रृंगार करें और पूजा की तैयारियां करें।

पहले के समय में घर की किसी एक दीवाल पर करवा की पूजा के लिए चित्र बनाये जाते थे जिसे महिलाएं स्वयं बनाती थी। अब यह प्रथा कम हो चुकी है। इसलिए बाजारों से कैलेंडर लाकर स्थापित करें। जिसमें सभी देवता और करवा माता बने हों। उसी से पूजा करें।
पूजा सामग्री को एकत्र करें जिसमे मिट्टी के या धातु के कलश रखें। इनमे चावल भरकर पूजा करें। एक थाली में धूप, दीप, चन्दन, सिन्दूर आदि जरूरी सामग्री एकत्रित करें, दीपक जलाएं तथा करवा की कथा पढ़ें। इसके बाद शुभ मुहूर्त में चंद्रमा उगने पर चलनी में दीपक रखकर चंद्रमा को देखकर अर्घ्य दें। जिसके बाद घर के बड़ों से आशीर्वाद प्राप्त करके व्रत को पूरा करें। करवा चौथ के दिन अलग- अलग स्थानों पर अलग-अलग पकवान भी बनाए जाते हैं।
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करवा चौथ व्रत का इतिहास – Karwa Chauth History
कहा जाता है कि करवा चौथ के व्रत की शुरुआत तब हुई जब देवता-अशुर संग्राम चल रहा था। उस समय देवता अशुरों से हारने वाले थे। ऐसे में देवताओं की पत्नियों ने भगवान शंकर की आराधना की। जिस पर ब्रह्मा जी ने उन्हें बताया कि यदि वे करवा चौथ का व्रत करें तो इससे देवताओं को विजय प्राप्त हो सकती है और उनकी जान भी बच सकती है।
जिसके बाद देवियों ने कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को यह व्रत किया और भगवान शिव , माता पार्वती और करवा माता की पूजा की जिसके प्रभाव से देवताओं को अशुरों के साथ युद्ध में विजय प्राप्त हुई। इसके बाद से यह व्रत मनाया जाने लगा। ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल में जब पांडवों पर विपत्ति के बादल मंडरा रहे थे, उस समय दौपदी ने भी करवाचौथ का व्रत किया था।
FAQ’s
करवा चौथ कब है ?
13 अक्टूबर2022, गुरूवार
करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है ?
13 अक्टूबर, शाम 06:01 से रात्रि 07 बजकर 15 मिनट
करवा चौथ पर चाँद निकलने का समय क्या है?
13 अक्टूबर, रात्रि 08 बजकर 19 मिनट