लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और स्वतंत्र भारत के द्वितीय प्रधानमन्त्री थे। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई बड़े और महान फैसले लिए। जवाहर लाल नेहरु की मृत्यु के बाद इन्हें दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। लाल बहादुर शास्त्री माँ भारती के सच्चे सपूत और देश के सेवक थे। लाल बहादुर शास्त्री जी का जीवन बहुत ही सरल और सादगीपूर्ण था।

उन्होंने भारत पाक युद्ध के समय अहम भूमिका निभाई। लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान जय किसान’ के नारे में जवानों, किसानों और अन्य तमाम वर्गों के लोगों को एकजुट करने का काम किया। लाल बहादुर शास्त्री का जन्मदिवस 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती के दिन ही मनाया जाता है। लाल बहादुर शास्त्री अपने मजबूत फैसले के लिए जाने जाते थे।
वे महात्मा गाँधी के विचारों में विश्वास रखते थे। शास्त्री जी को उनकी मृत्यु के उपरांत साल 1966 में देश का सबसे बड़ा सम्मान ‘भारत रत्न’ दिया गया। आइये जानते हैं लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय(Lal Bahadur Shastri Biography in Hindi)…
लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी – Lal Bahadur Shastri Biography in Hindi
नाम | लाल बहादुर शास्त्री |
उपनाम | शांतिदूत, शास्त्री, नन्हे |
जन्म तिथि | 2 अक्टूबर 1904 |
जन्म स्थान | मुग़लसराय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
आयु (म्रत्यु के समय) | 61 वर्ष |
पिता का नाम | शारदा प्रसाद श्रीवास्तव |
माता का नाम | राम दुलारी |
बहन | कैलाशी देवी, सुंदरी देवी |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
विवाह तिथि | 16 मई 1928 |
पत्नी | ललिता शास्त्री |
बच्चे | पुत्र – हरिकृष्ण शास्त्री, अनिल शास्त्री, सुनील शास्त्री, अशोक शास्त्री पुत्री – कुसुम शास्त्री, सुमन शास्त्री |
धर्म | हिन्दू |
जाति | कायस्थ |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शैक्षिक योग्यता | कला में स्नातक |
राजनैतिक पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
पद | भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री |
म्रत्यु | 11 जनवरी 1966 |
मृत्यु स्थान | ताशकंद |
समाधि स्थल | विजयघाट, नई दिल्ली |
लाल बहादुर शास्त्री जन्म, माता पिता और परिवार – Lal Bahadur Shastri Birth, Mother Father and Family
लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के मुगलसराय नामक छोटे से स्थान पर हुआ था। लाल बहादुर शास्त्री के पिता का नाम शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और माता का नाम दुलारी देवी था। लाल बहादुर शास्त्री के पिता एक अध्यापक थे और माता गृहिणी थीं। ये जब महज 18 महीने के थे तभी इनके पिता का निधन हो गया। लाल बहादुर शास्त्री के परिवार में इनके आलावा इनकी दो बहनें कैलाशी देवी और सुंदरी देवी थीं।

इनके पिता की मृत्यु के उपरांत इनकी माता अपने बच्चों को लेकर अपने पिता के घर मिर्जापुर चली गईं। इनका प्रारम्भिक जीवन मिर्जापुर में इनके नाना के घर पर बीता। इन्हें अपना बचपन बहुत गरीबी के माहौल में बिताना पड़ा इसके बावजूद भी इनका बचपन खुशहाल रहा। लाल बहादुर शास्त्री बचपन से ही सरल और सादगीपूर्ण व्यवहार वाले व्यक्ति थे। लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) को बचपन में उनके परिवार में नन्हे के नाम से बुलाया जाता था।
लाल बहादुर शास्त्री की शिक्षा – Lal Bahadur Shastri Education
लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) का बचपन उनके ननिहाल में बीता। वहीं से इन्होने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की। इन्हें अपनी प्रारम्भिक शिक्षा के समय में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वे विद्यालय तक जाने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलते और तैरकर नदी पार किया करते थे। प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद इनकी माँ ने इन्हें बनारस भेज दिया, उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इनके चाचा के पास। वाराणसी में इन्होनें हरिश्चंद्र हाईस्कूल से अपनी 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त की।
इसके बाद इन्होने अपनी स्नातक की शिक्षा प्राप्त करने के लिए वाराणसी में काशी विद्यापीठ में दाखिला लिया। काशी विद्यापीठ में इनका सम्पर्क बहुत से बुद्धि जीवियों से हुआ। वहां शिक्षा प्राप्त करते हुए इन्होने महात्मा गाँधी के असहयोग आन्दोलन में भाग लिया और ब्रिटिश सरकार का विरोध प्रारम्भ कर दिया।
काशी विद्यापीठ में लाल बहादुर शास्त्री को शास्त्री की उपाधि मिली। इसके पहले इनका पूरा नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव हुआ करता था। परन्तु इसके बाद इनका उपनाम शास्त्री को गया और इसके बाद से ये लाल बहादुर शास्त्री के नाम से जाने गये। काशी विद्यापीठ से लाल बहादुर शास्त्री ने कला में अपनी स्नातक की शिक्षा पूरी की।
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लाल बहादुर शास्त्री का वैवाहिक जीवन – Lal Bahadur Shastri Married Life
लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) का विवाह 16 मई 1928 को हुआ। इनकी पत्नी का नाम ललिता देवी था। लाल बहादुर शास्त्री की पत्नी ललिता शास्त्री बनारस के पास स्थित मिर्जापुर से थीं। लाल बहादुर शास्त्री और ललिता शास्त्री के छह बच्चे थे।

जिनमे से 4 पुत्र हरिकृष्ण शास्त्री, अनिल शास्त्री, सुनील शास्त्री और अशोक शास्त्री तथा 2 बेटियां कुसुम शास्त्री और सुमन शास्त्री थीं। लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद इनके एक पुत्र कांग्रेस के सदस्य भी रहे थे.
लाल बहादुर शास्त्री का स्वतंत्रता सेनानी के रूप में – Lal Bahadur Shastri as Freedom Fighter
लाला बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) अपनी शिक्षा के समय से ही महात्मा गाँधी और लाला लाजपत राय के विचारों से प्रभावित थे। वह जब काशी विद्यापीठ में स्नातक की शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तभी से उन्होंने महात्मा गाँधी के सहयोग आन्दोलन में उनका साथ देने के लिए ब्रिटिश सरकार का विरोध करना प्रारम्भ कर दिया था। लाला बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) ने साल 1921 में ब्रिटिश सरकार का विरोध किया और 17 साल की उम्र में अपनी पढ़ाई छोड़कर वे स्वतंत्रता आंदोलनों से पूरी तरह से जुड़ गये।
इनके इस कार्य से इनकी माता बहुत दुखी हुईं और उन्होंने इन्हें ऐसा करने से मना भी किया। लेकिन इन्होने देश की स्वतंत्रता को सर्वोपरि रखा।असहयोग आन्दोलन, डांडी यात्रा, भारत छोड़ो आन्दोलन में इन्होंने महात्मा गाँधी के साथ भाग लिया। लाल बहदुर शास्त्री लाला लाजपत राय की ‘द सर्विस ऑफ़ द पीपल सोसायटी’ से साल 1921 में जुड़ गये थे।
साल 1942 में जब महात्मा गाँधी ने ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ और ‘करो या मरो’ का नारा दिया तब इन्होने इलाहबाद से मोर्चा सम्भाला और ‘करो या मरो’ को ‘मरो नहीं मारो’ में परिवर्तित कर दिया। इसका असर देश की जनता पर बहुत हुआ लेकिन अंगेज सरकार ने लाल बहादुर शास्त्री को गिरफ्तार कर लिया जिसके बाद इन्हें 1 वर्ष तक जेल में रहना पड़ा। लाल बहादुर शास्त्री स्वतंत्रता आंदोलनों में सदैव सक्रिय रहे। इस दौरान वह कई बार जेल गये और कई वर्षों का समय इन्होने ब्रिटिश सरकार की जेलों में बिताया।
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लाल बहादुर शास्त्री का राजनैतिक जीवन – Lal Bahadur Shastri Political Life
लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू बने तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंदबल्लभ पंत बने। उस समय इन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री का पद दिया गया। इन्होंने उत्तर प्रदेश में पुलिस विभाग और परिवहन मंत्री का पद दिया गया। लाल बहादुर शास्त्री अपने कुशल नेतृत्व के लिए जाने जाते थे इसी कारण से उन्हें उत्तर प्रदेश का संसदीय सचिव भी नियुक्त किया गया।
काशी विद्यापीठ में अध्ययन के समय से ही इनकी जान पहचान गोविंद बल्लभ पंत, पुरुषोत्तम दास टण्डन और जवाहर लाल नेहरू से थी। यह तीनों इनके राजनीतिक पथ प्रदर्शक हुआ करते थे। संसदीय सचिव के रूप में काम करते हुए वे लगातार जवाहर लाल नेहरू के संपर्क में रहे। कुछ समय बाद इन्हें केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी दी गई। इन्हें केंद्र सरकार में रेल मंत्री का पद मिला इन्होंने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई। एक ट्रेन दुर्घटना घटने से कई लोगों की मौत हो गई लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) इस बात से बहुत दुखी हुए और इन्होंने इस घटना के लिए खुद को जिम्मेदार बताया तथा रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया।
साल 1952 में इन्हें केंद्र सरकार में गृहमंत्री का पद दिया गया। इन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को बड़ी सादगी और सरलता से निभाया। वह लगातार राजनीति में उच्च पद की ओर बढ़ रहे थे। इसके बाद उन्होंने अपने मंत्री पदों पर काम करते हुए भी कांग्रेस पार्टी के लिए हमेशा काम किया।
इन्हें आम चुनाव के समय मे कांग्रेस पार्टी के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया। इन्होंने इस दौरान कांग्रेस के लिए खूब प्रचार-प्रसार किया जिससे कांग्रेस पार्टी ने आम चुनावों में जीत हासिल की। इनके बाद साल 1962 में एक बार फिर चुनाव हुए और इन चुनावों में भी लाल बहादुर शास्त्री ने बड़ी भूमिका निभाई। लाल बहादुर शास्त्री सदैव ही कांग्रेस के लिए तत्पर रहे उन्होंने हमेशा कांग्रेस पार्टी के लिए काम किया।
लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री के रूप में – Lal Bahadur Shastri as Prime Minister
लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) अपने सादगी एवं सरल जीवन के साथ-साथ अपने कुशल नेतृत्व के लिए भी जाने जाते थे। लाल बहादुर शास्त्री ने जब रेल दुर्घटना के बाद रेल मंत्री पद से इस्तीफा दिया तो तत्कालीन प्रधानमन्त्री जवाहर लाल नेहरु ने इनका समर्थन किया और कहा कि यह जनता के लिए एक मिशाल के रूप में साबित होगा। इसके बाद इन्हें केंद्र सरकार में गृह मंत्री का पद दिया गया इस दौरान वे प्रधानमंत्री नेहरु के साथ ज्यादा समय व्यतीत करते थे, जिस कारण से उन्हें पार्टी का समर्थन लगातार मिलता रहा।

जब प्रधानमन्त्री जवाहर लाल नेहरु की तबियत बिगड़ी उस समय यह उनके साथ कार्य किया करते थे और उनके कार्यों में उनकी सहायता किया करते थे। साल 1964 में पंडित जवाहर लाल नेहरु का निधन हो गया। इसके बाद पार्टी और मंत्रिमंडल की सर्वसम्मति से लाल बहादुर शास्त्री को देश के द्वितीय प्रधानमन्त्री के पद पर नियुक्त किया गया। लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) ने 9 जून 1964 को भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री के रूप में शपध ली। लाल बहादुर शास्त्री ने अपने कार्यकाल में बहुत से ऐतिहासिक निर्णय लिए। इन्होंने देश में अनाज की कीमतों को कम करने के लिए अनेक प्रयास किये।
बड़े ही निडर होकर अमेरिका द्वारा भेजे जा रहे खराब गेहूं को लेने से इन्होने मना कर दिया और देशवासियों से अपील की, कि वे कम खर्च करें जिससे देश में खाद्यान्न की कमी को रोका जा सके। लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) ने प्रधानमंत्री रहते हुए देश में श्वेत क्रांति और हरित क्रांति को बढ़ावा दिया। जिससे देश में दूध उत्पादन और खाद्य उत्पादन को बढ़ाया जा सके। शास्त्री जी का प्रधानमंत्री का कार्यकाल अन्य प्रधानमंत्रियों के मुकाबले काफी कठिन था लेकिन शास्त्री जी ने अपने कुशल नेतृत्व और सादगी से देश को सम्भाला।
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1965 भारत पाकिस्तान युद्ध
लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करते हुए अभी कुछ समय ही बीता था कि पाकिस्तान ने अचानक भारत पर हवाई हमला कर दिया। यह हमला साल 1965 में हुआ। तत्कालीन राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री एवं तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ आपातकालीन बैठक बुलाई। जिसमे तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने लाल बहादुर शास्त्री से पूछा कि क्या किया जाए आदेश दीजिये।जिस पर शास्त्री जी ने कहा कि आप सब देश की रक्षा कीजिए और मुझे बताइए की हमे क्या करना चाहिए ? इस तरह शास्त्री जी ने देश की सेना को पाकिस्तान की सेना से लड़ने के लिए पूरी छूट दे दी।
कहा जाता है कि शास्त्री जी ने नेहरु जी के मुकाबले युद्ध के समय देश को बेहतर सम्भाला। युद्ध के समय शास्त्री जी ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देकर किसानों और जवानों का आह्वान किया। जिससे देश की जनता ने उनका साथ एक जुटता से दिया। इस युद्ध में पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा। शास्त्री जी के नेतृत्व में पाकिस्तान इस तरह हारा कि जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की होगी।
इसके बाद रूस और अमेरिका ने जोर डाला कि पाकिस्तान के साथ भारत समझौता कर ले इस समझौते के लिए शास्त्री जी को रूस की राजधानी ताशकंद बुलाया गया। शास्त्री जी ने इस बात को मान लिया और वे भारत पाकिस्तान युद्ध विराम और समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए ताशकंद चले गये।
लाल बहादुर शास्त्री का निधन – Lal Bahadur Shastri Death
भारत पाकिस्तान युद्ध विराम और शांतिवार्ता के लिए लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) को ताशकंद बुलाया गया। जहाँ वे पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री अयूब खान से ताशकंद में मिले। इस यात्रा में शास्त्री जी की पत्नी ललिता शास्त्री उनके साथ नहीं गई थी।शास्त्री जी हमेशा अपनी पत्नी के साथ यात्रा किया करते थे। कहा जाता है कि रूस और अमेरिका ने शास्त्री जी पर दबाव बनाकर उनसे शांति समझौते पर हस्ताक्षर करवा लिए।
इस संधि में यह तय हुआ कि युद्ध के समय पाकिस्तान के जिन हिस्सों पर भारत ने कब्जा किया है। वह भारत पाकिस्तान को पुनः लौटा देगा। इस घोषणा पत्र पर 10 जनवरी 1966 को हस्ताक्षर किये गये। इसके बाद उसी रात को शास्त्री जी (Lal Bahadur Shastri) का निधन हो गया। 11 जनवरी 1966 को खबर मिली की ह्रदय गति रुकने से शास्त्री जी का निधन हो गया। परन्तु यह बात आज भी रहस्यपूर्ण बनी हुई है कि शास्त्री जी का निधन कैसे हुआ था।

शास्त्री जी (Lal Bahadur Shastri) का पार्थिव शरीर जब भारत लाया गया तो उनका शरीर पूरी तरह से नीला पड़ गया था जिससे कहा जाता है कि दबाव बनाकर हस्ताक्षर करवाने के बाद शास्त्री जी को जहर दे दिया गया था। लेकिन यह बात अब तक भी सामने नहीं आ पाई है कि सच क्या था और शास्त्री जी का निधन कैसे हुआ। कहा जाता है कि शास्त्री जी के पार्थिव शरीर का पोस्टमार्टम नहीं हुआ था। शास्त्री जी की मृत्यु को लेकर कई जाचें भी हुईं लेकिन कभी सच सामने नहीं आया और न ही जाँच पूरी हो पाई। शास्त्री जी की मृत्यु के बाद गुलजारीलाल नंदा को कार्यवाहक प्रधानमन्त्री बनाया गया।
जब भी किसी ने शास्त्री जी (Lal Bahadur Shastri) मृत्यु के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय या आरटीआई से जानकारी मांगी तो प्रधानमंत्री कार्यालय ने कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई और आरटीआई में कहा गया कि उनके निधन की जानकारी सार्वजनिक करने से देश का माहौल खराब होगा और अशांति फैलेगी। इस कारण से शास्त्री जी की मृत्यु का सच कभी सामने नहीं आया।
वर्ष 2012 में इनके पुत्र सुनील शास्त्री ने भारत सरकार से शास्त्री जी की मृत्यु के कारणों और उनके दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग की। शास्त्री जी के निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में यमुना के किनारे किया गया उस जगह का नाम विजय घाट रखा गया।
लाल बहादुर शास्त्री रोचक तथ्य-
- लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) ने पुलिस विभाग में मंत्री रहते हुए एक महत्वपूर्ण बदलाव किया कि भीड़ वाले स्थानों पर और प्रदर्शनकारियों पर पुलिस लाठी चार्ज ना करके पानी के जेट विमानों का उपयोग करे.
- लाल बहादुर शास्त्री ने परिवहन मंत्री रहते हुए परिवहन विभाग में महिलाओं को रोजगार देने के लिए बसों में महिला ड्राइवरों और कंडेक्टरों को भरती करवाई।
- शास्त्री जी को काशी विद्यापीठ में साल 1926 में ‘शास्त्री’ की उपाधि दी गई।
- भारत के गृहमंत्री के रूप में कार्य करते हुए शास्त्री जी ने भ्रष्टाचार निरोधक समिति की शुरुआत की।
- शास्त्री जी ने देश में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए श्वेत क्रांति का समर्थन किया और देश में खाद्य सामग्री के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए हरित क्रांति को अपनाया।
- लाला बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) ने देश में खाद्यान्न की कमी को पूरा करने के लिए देशवासियों से सप्ताह में एक दिन व्रत रखने की अपील की और वे स्वयं भी एक दिन व्रत रखते थे।
- लाल बहादुर शास्त्री बहुत ही अनुशाषित व्यक्तित्व वाले प्रधानमंत्री थे। कहा जाता है कि प्रधानमंत्री के कार्यकाल में मिली कार का उपयोग वे नहीं करते थे। वे इस कार का उपयोग सिर्फ तब करते थे जब किसी अतिथि को लाना हो या भेजना हो।
- शास्त्री जी दहेज़ प्रथा के प्रबल विरोधी थे उन्होंने अपने विवाह में एक चरखा और कुछ खादी का कपड़ा लिया था।
- लाल बहादुर शास्त्री प्रथम प्रधानमंत्री थे जिन्हें मृत्यु के उपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था।
- लाल बहादुर शास्त्री की जयंती 2 अक्टूबर को महात्मा गाँधी जयंती के साथ मनाई जाती है।
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