LIC History in hindi : आज कल आम इंसान भी अपने भविष्य की समस्याओं को सुलझाने के लिए पहले से कुछ न कुछ सोच कर रखता है और अब तो सभी जीवन बीमा आदि भी कराने लगे हैं। लेकिन इसकी शुरुआत दुनिया में करीब 6000 साल पहले हुई थी। इसीलिए कहा जाता है कि जीवन बीमा की कहानियाँ उतनी ही पुरानी हैं जितना पृथ्वी पर जीवन।

लेकिन जिस जीवन बीमा का इस्तेमाल हम सभी करते हैं वह पूर्ण रूप से आधुनिक है। लेकिन पुराने समय में भी ऐसी चीजें मौजूद थीं। जब लोगों को उनकी फसलों में नुक्सान होता था तो वे कोई न कोई तरीका सोच कर रखते थे उससे बाहर निकलने या निपटने का। भारत में अंग्रेज लेकर आये थे इंश्योरेंस कम्पनी, जानिए कब हुई थी LIC की शुरुआत (LIC History in hindi)…
भारत में कब आई जीवन बीमा
आधुनिक रूप से भारत में जीवन बीमा साल 1818 में इंग्लैण्ड से आई थी। उस समय देश में अंग्रेजों का राज था और ज्यादातर चीजें कोलकाता में हुआ करती थीं। इसलिए कोलकाता में ही अंग्रेजों ने ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी की शुरुआत की थी। यही कम्पनी भारत की पहली आधुनिक जीवन बीमा कम्पनी बनी।
लेकिन इन सभी कम्पनियों की शुरुआत के पीछे का उद्देश्य था भारत में रहने वाले यूरोपीय समुदाय की जरूरतों को पूरा करना। जब बीमा कम्पनियों की शुरुआत भारत में हुई उस समय भारत के लोगों को इस सुविधा का लाभ नही मिलता था और इसके पीछे कारण था अंगेजी शासन।
पहली भारतीय जीवन बीमा कम्पनी – First Indian Life Insurance Company
कुछ समय बाद विदेशी बीमा कम्पनियों ने भारतीयों का बीमा करना शुरू तो कर दिया लेकिन यह भारतीयों के लिए काफी महंगा था। बाबू मुट्ठीलाल सील और कुछ प्रतिष्ठित लोगों के प्रयाशों से यह मुमकिन हो पाया था। लेकिन यह कम्पनियां यूरोपीय लोगों के मुकाबले भारतीय लोगों से अधिक प्रीमियम लिया करती थीं। इसके बाद बाम्बे म्यूचुअल लाइफ इंश्योरेंस सोसाइटी के द्वारा साल 1870 में पहली भारतीय जीवन बीमा कम्पनी (LIC History in Hindi) शुरू की गई।
इसके द्वारा भारतीयों के लिए भी सामान्य प्रीमियम दरों की शुरुआत की गई। इसके बाद कई बीमा कम्पनियां अस्तित्व में आयीं और उन्होंने अलग-अलग विभिन्न क्षेत्रों और सामाजिक सुरक्षा आदि को बढ़ाने के लिए काम किया। इसके बाद साल 1886 में शुरू हुई भारत बीमा कम्पनी राष्ट्रवाद की भावना से ओतप्रोत एक जीवन बीमा कम्पनी बनी जो कि भारत के लोगों की सामाजिक सुरक्षा और अन्य सामाजिक जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाई गई थी।
बीमा के राष्ट्रीयकरण की मांग
भारत में बीमा कारोबार की बढ़ोत्तरी करीब बीसवीं सदी के दशक में दर्ज की गई। बीमा कम्पनियों का विस्तार इस समय बहुत तेजी से हुआ। जिसके बाद साल 1938 में जीवन बीमा और गैर जीवन बीमा कम्पनियों को नियंत्रित करने के लिए कानून लाया गया। इसके बाद सरकार को जीवन बीमा कम्पनियों के कारोबार पर नियंत्रण मिला। इसके बाद भारत में जीवन बीमा कम्पनियों के राष्ट्रीयकरण की बात भी कही गई।
इसके बाद साल 1944 में जीवन बीमा अधिनियम 1938 में बदलावों के लिए विधेयक संसद में पेश किया गया। इसके बाद साल 1947 में भारत की आज़ादी के बाद भारत में नए कानून बने और इस तरह 19 जनवरी 1956 को जीवन बीमा कम्पनियों का भारत में राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था। बता दें कि इसके बाद भारत में करीब 154 भारतीय जीवन बीमा कम्पनियां (LIC History in Hindi) और 16 गैर भारतीय कम्पनियां और प्राइवेट कम्पनियां काम कर रही थीं।
पांच करोड़ से शुरू हुई LIC
भारत में जीवन बीमा कम्पनियों (LIC History in Hindi) का राष्ट्रीयकरण दो चरणों में किया गया था। इसकी शरुआत पहले अध्यादेश के द्वारा हुई लेकिन कुछ समय बाद बिल बनाया गया और इसके बाद बीमा कम्पनियों पर सरकार का हक हो गया। 19 जून साल 1956 को भारत सरकार में भारतीय जीवन बीमा निगम अधिनियम की शुरुआत की गई।

इसके बाद देश में भारतीय जीवन बीमा निगम LIC की शुरुआत हुई। इसके बाद भारतीय जीवन बीमा निगम की स्थापना 1 सितम्बर 1956 को 5 करोड़ रूपये की लागत से भारत सरकार ने की और भारतीय जीवन बीमा निगम की स्थापना का उद्देश्य मुख्य रूप में भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक रूप से जीवन बीमा की शुरुआत करना था। Also Read –Customer Service Point | बैंक मित्र बनकर या ग्राहक सेवा केंद्र खोलकर कैसे कमायें पैसे
इतने ऑफिस के साथ हुई शुरुआत
भारतीय जीवन बीमा कम्पनी (LIC History in Hindi) की शुरुआत साल 1956 में एक कॉर्पोरेट ऑफिस के साथ-साथ 5 जोनल ऑफिस थे और 33 मंडल ऑफिस के साथ करीब 212 ब्रांच ऑफिस थे। लेकिन जीवन बीमा एक ऐसा निवेश है जो काफी समय तक चलता है इसके कारण ही बाद में और अधिक चीजों की जरूरत पड़ी और इसके बाद एलआईसी की और ब्रांच भी खोली गईं। Also Read – Dr Ambedkar Foundation Inter Caste Marriage Scheme In Hindi | शादी के लिए केंद्र सरकार देगी 2.5 लाख रूपये
इसके बाद जैसे जैसे सर्विसेज बढीं वैसे ही ब्रांच भी बढती गईं। इसके बाद जीवन बीमा निगम के कारोबार में काफी बढ़ोत्तरी भी हुई। साल 1957 में लगभग 200 करोड़ के कारोबार से साल 1969-70 में ही एलआईसी ने 1000.00 करोड़ का आंकड़ा भी पार कर लिया था।
पार किये मील के पत्थर
एलआईसी की शरुआत ग्रामीण स्तर पर जीवन बीमा को लेकर जागरूकता फ़ैलाने के लिए और बीमा व्यवसाय को बड़े स्तर पर ले जाने के लिए किया गया था। एलआईसी ने इसे पार भी किया इसी तरह एलआईसी ने और कई मील के पत्त्थर पार किये हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार साल 2019 में पूरे देश मे रह रहे करीब 29 करोड़ लोगों ने एलआईसी की कोई न कोई पालिसी ली हुई थी। इसके अलावा 15 अक्टूबर 2005 तक एलआईसी ने करीब 1,01,32,955 नई जीवन बीमा पालिसी जारी कर दी थीं।
एलआईसी का नेटवर्क – LIC Network
पूरे देश में एलआईसी का सबसे बड़ा नेटवर्क मौजूद है। बहुत सी बीमा कम्पनियां आने के बावजूद भी एलआईसी लोगों की सबसे अधिक भरोषेमंद कम्पनी है। बात अगर वर्तमान की करें तो एलआईसी के कम्प्यूटराइज्ड ब्रांच ऑफिस करीब 2048 हैं।डिवीजन ऑफिस करीब 113 हैं और इसके अलावा करीब 1381 सैटेलाईट ऑफिस हैं। Also Read –Digital Rupee क्या है? जानिए अब कैसे बदलने वाला है लेन-देन का तरीका
113 डिवीजन ऑफिस को भारतीय जीवन बीमा निगम का वाइड एरिया नेटवर्क कवर करता है और सभी शाखाओं को मेट्रो एरिया नेटवर्क के द्वारा जोड़ता है। वर्तमान में करीब चार लाख करोड़ एलआईसी का मार्केट कैप है।
FAQ’s
भारत में पहली जीवन बीमा कम्पनी कब आई?
साल 1818 में इंग्लैण्ड से
पहली भारतीय जीवन बीमा कम्पनी कब स्थापित की गई?
साल 1870 में पहली भारतीय जीवन बीमा कम्पनी शुरू की गई
LIC की स्थापना कब हुई?
19 जून साल 1956 को
बीमा कम्पनियों का राष्ट्रीयकरण कब किया गया?
19 जनवरी 1956 को जीवन बीमा कम्पनियों का भारत में राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था