Narak Chaturdashi 2022 : नरक चतुर्दशी 2022 जानिए तिथि मुहूर्त और पूजा विधि
Narak Chaturdashi 2022 : कहा जाता है कि भारत त्यौहारों का देश है। यहाँ हर दिन कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता है। साल की शरुआत से लेकर अंत तक कोई न कोई त्यौहार होता ही रहता है। सभी त्यौहार अपना एक अलग महत्त्व रखते हैं। कार्तिक माह या अक्टूबर-नवम्बर के महीने में हर वर्ष दीपावली का पांच दिवसीय त्यौहार मनाया जाता है। इन पांच दिनों में हर दिन एक अलग त्यौहार के रूप में मनाया जाता है सबका अलग महत्व भी होता है।
आज हम बात कर रहे हैं नरक चतुर्दशी की यह त्यौहार धनतेरस के एक दिन बाद और दीपावली से एक दिन पहले मनाया जाता है। दीपावली से एक दिन पहले मनाये जाने के कारण ही इसे छोटी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन प्रमुख रूप से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। नरक चतुर्दशी 2022 जानिए तिथि मुहूर्त और पूजा विधि (Narak Chaturdashi 2022)…

नरक चतुर्दशी 2022 – Narak Chaturdashi 2022
नरक चतुर्दशी दिनांक | 24 अक्टूबर 2022, सोमवार |
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ | 23 अक्टूबर, शाम 06 बजकर 03 मिनट से |
चतुर्दशी तिथि समाप्त | 24 अक्टूबर, शाम 05 बजकर 27 मिनट तक |
काली चतुर्दशी मुहूर्त | 23 अक्टूबर रात्रि 11 बजकर 40 मिनट से 24 अक्टूबर 12 बजकर 21 मिनट |
पूजा समय | 51 मिनट |
नरक चतुर्दशी 2022 कब है ?
रौशनी के त्यौहार दीपावली के एक दिन पहले छोटी दीपावली के नाम से मनाया जाने वाले त्यौहार नरक चतुर्दशी हर वर्ष कार्तिक मास कृष्णा पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी, काली चतुर्दशी, नरक निवारण चतुर्दशी आदि अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इस वर्ष यह त्यौहार 24 अक्टूबर 2022 दिन सोमवार को मनाया जायेगा।चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 03 मिनट से होगी और यह तिथि 24 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 27 मिनट तक रहेगी।
शुभ मुहूर्त
दीपावली के एक दिन पहले मनाया जाने वाला त्यौहार नरक चतुर्दशी इस वर्ष 24 अक्टूबर को है। इस दिन चतुर्दशी तिथि 23 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 3 मिनट से लगेगी और 24 अक्टूबर को यह तिथि शाम 5 बजकर 27 मिनट तक रहेगी। 23 अक्टूबर को काली चौदस का मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 40 मिनट से 24 अक्टूबर को 12 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। नरक चतुर्दशी के दिन पूजा की अवधि 51 मिनट तक बताई गई है। यह त्यौहार इस वर्ष 24 अक्टूबर को ही मनाया जायेगा।
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पूजा विधि
नरक चतुर्दशी के दिन प्रातः काल उठकर अपने दैनिक कार्यों को करने के बाद शरीर पर चंदन, तेल, हल्दी आदि से बना उबटन शरीर पर लगाने की परम्परा है। स्नान आदि कार्य करने के बाद पूजा की तैयारियां करें। नरक चतुर्दशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण और अंजनी पुत्र हनुमान जी की पूजा मुख्य रूप से की जाती है। इस दिन पूजा वाले स्थान पर सभी पूजा सामग्री को एकत्रित करें।

इस दिन उत्तर पूर्व की दिशा में भगवान की मूर्तियों की स्थापना करें इसके बाद चन्दन, धूप, दीप से उनकी पूजा करें। मन्त्रों के उच्चारण के साथ पूजा को सपन्न करें। इसके बाद एक दीपक जलाकर यम देवता के लिया घर के गेट पर रखना चाहिए तथा घर के अलग-अलग स्थानों पर दीपक जलाकर रखें। इस दिन सूर्य देव, भगवान गणेश, माँ दुर्गा और भगवान विष्णु की पूजा भी की जाती है। अलग-अलग स्थानों पर इस त्यौहार को अलग ढंग से मनाया जाता है।
महत्व
पांच दिवसीय दीपावली के त्यौहार में नरक चतुर्दशी दीपावली के एक दिन पहले और धनतेरस के एक दिन बाद मनाई जाती है।इस दिन का अलग-अलग स्थानों पर अलग महत्व बताया जाता है, जैसे बंगाल में नरक चतुर्दशी की पूजा बुरी शक्तियों से लड़ने के लिए की जाती है। कुछ स्थानों पर माता लक्ष्मी की पूजा की जाती वहीं कुछ स्थानों पर इस दिन यम देवता की पूजा की जाती है।
कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था इस कारण से नरक चतुर्दशी को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में भी मनाया जाता है। यह त्यौहार दीपावली के एक दिन पहले मनाया जाता है इस कारण से भी इसका अधिक महत्त्व होता है। लोग इस दिन से अपने घरों की सजावट आदि का कार्य प्रारंभ कर देते हैं।
कहानियाँ
नरक चतुर्दशी से कई कहानियाँ जुड़ी हुई हैं, कहा जाता है कि बहुत पहले एक धर्मात्मा राजा हुआ करते थे जिनका नाम रंतिदेव था। वह बहुत अधिक धर्मात्मा राजा थे, उन्होंने आजीवन धर्म के काम किये और कभी कोई पाप नही किया। जब इनकी मृत्यु निकट आई तो इन्हें लेने के लिया यमराज आये जिस पर इन्होंने यमराज से पूछा कि मैंने आजीवन कोई ऐसा कार्य नहीं किया जिससे मैं नरक में जाऊं आप मुझे बताइए की मैं क्या करूं और मुझसे क्या गलती हुई है जिसके कारण ऐसा हो रहा है।

जिस पर यमराज ने कहा कि एक बार एक महात्मा आपके द्वार पर आये और वह आपके द्वार से भूखे ही चले गये जिस कारण से आपको पाप का भागी बनना पड़ा है और यही वजह है कि आपको नरक में जाना पड़ेगा। इस बात से दुखी होकर राजा ने यमराज से एक वर्ष का समय माँगा जिसमे उन्होंने महात्माओं से पूछा कि इस पाप को कम करने के लिए वह क्या करें। इस पर ब्राम्हणों ने सुझाव दिया कि आप सहस्त्रों ब्राम्हणों को भोजन कराईये। इससे आपके पाप कम हो सकते है और राजा ने ऐसा ही किया जिसके बाद नरक चतुर्दशी के दिन उन्हें विष्णु लोक की प्राप्ति हुई।
दूसरी कहानी भगवन श्री कृष्णा से जुड़ी है। कहा जाता है कि अपनी पत्नी की सहायता से भगवान श्रीकृष्ण ने नरकाशुर राक्षस का वध कार्तिक मॉस की कृष्ण चतुर्दशी को किया था जिससे इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। इसी प्रकार नरक चतुर्दशी से बहुत सी अन्य कहानियाँ भी जुड़ी हुई हैं। इस दिन लोग मृत्यु के देवता यम की पूजा भी करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को नरक में नहीं जाता पड़ता है। मृत्यु के बाद व्यक्ति को स्वर्ग में स्थान मिलता है।
नरक चतुर्दशी कब है ?
24 अक्टूबर 2022 दिन सोमवार
नरक चतुर्दशी पूजा अवधि क्या है ?
51 मिनट
नरक चतुर्दशी को चतुर्दशी तिथि कब से कब तक है ?
23 अक्टूबर 06 बजकर 03 मिनट से 24 अक्टूबर को 05 बजकर 27 मिनट तक
नरक चतुर्दशी कब मनाई जाती है ?
धनतेरस के एक दिन बाद तथा दीपावली से एक दिन पहले