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Shardiya Navratri 2022 : कब है शारदीय नवरात्रि? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

माँ भगवती की आराधना का पर्व नवरात्रि आरंभ होने को है। पूरे देश में शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2022) की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। नवरात्रि में नौ रातों और दस दिनों तक माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा भक्तो द्वारा की जाती है। नवरात्रि में भक्त सिद्धि और माँ भगवती की कृपा प्राप्त करने के लिए नौ दिनों तक उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। शारदीय नवरात्रि में माँ भगवती के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नव देवियों की पूजा अर्चना से भक्तो को सुख, समृद्धि, शक्ति एवं धन-धन्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइये जानते है शारदीय नवरात्रि 2022 के बारे में विस्तार से (Shardiya Navratri 2022)

Shardiya Navratri 2022

शारदीय नवरात्रि 2022, तिथि, दिन, दिनांक और देवियों के नाम – Shardiya Navratri 2022 Date, Day, time and Goddess Name’s  

तिथिदिन, दिनांकदेवी का स्वरुप (नाम)
पहला दिन, प्रतिपदासोमवार, 26 सितम्बर 2022माँ शैलपुत्री
दूसरा दिन, द्वितीयामंगलवार, 27 सितम्बर 2022माँ ब्रम्हचारिणी
तीसरा दिन, तृतीयाबुद्धवार, 28 सितम्बर 2022माँ चन्द्रघंटा
चौथा दिन, चतुर्थीगुरूवार, 29 सितम्बर 2022  माँ कूष्मांडा
पांचवा दिन, पंचमीशुक्रवार, 30 सितम्बर 2022माँ स्कंदमाता
छठा दिन, षष्ठीशनिवार, 1 अक्टूबर 2022माँ कात्यायनी
सातवाँ दिन, महासप्तमीरविवार, 2 अक्टूबर 2022माँ कालरात्रि
आठवां दिन, महाअष्टमीसोमवार, 3 अक्टूबर 2022माँ महागौरी
नौवां दिन, महानवमीमंगलवार, 4 अक्टूबर 2022माँ सिद्धिदात्री
दसवां दिन, विजयदशमीबुद्धवार, 5 अक्टूबर 2022दशहरा

कब है Shardiya Navratri 2022

माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा नवरात्रि में की जाती है। नवरात्रि एक वर्ष में चार बार आती है, पौष, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन में। मुख्यरूप से चैत्र और आश्विन माह में नवरात्रि का अधिक महत्व होता है। आश्विन माह में होने वाली नवरात्रि को ही शारदीय नवरात्रि  (Shardiya Navratri 2022) कहा जाता है, क्योंकि यह शरद ऋतु के प्रारम्भ में होती है।

नवरात्रि हर वर्ष सितम्बर और अक्टूबर महीने में होती है। इस वर्ष नवरात्रि 26 सितम्बर 2022 से प्रारम्भ हो रही है और चार अक्टूबर को समाप्त हो रही है। नवरात्रि में नौ दिनों तक माँ दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरूपों की पूजा-आराधन की जाती है। हर वर्ष नवरात्रि में माँ दुर्गा अपनी अलग-अलग वाहनों से आगमन करती हैं। जिसमें मुख्य रूप से माँ शेर, हाथी, नाव तथा डोली से आती हैं। इस बार माँ हाथी से आगमन करेंगी और हाथी से ही प्रस्थान करेंगी, जिससे सुख-समृद्धि का संचार होगा।

Shardiya Navratri 2022 शुभ मुहूर्त

नवरात्रि में कलश स्थापना का बहुत अधिक महत्व है। भक्त नवरात्रि के प्रारम्भ से नौ दिनों तक पूजा करने के लिए नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना (घटस्थापना) करते हैं। कलश को भगवान श्री विष्णू का स्वरुप माना जाता है।

Shardiya Navratri 2022 कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

Shardiya Navratri 2022 में कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन यानी 26 सितम्बर को की जाएगी। कलश स्थापना का शुभमुहूर्त सोमवार, 26 सितम्बर 2022 को सुबह 6 बजकर 11 मिनट से सुबह 7 बजकर 51 मिनट तक है। इस समय में कलश की स्थापना करना और नवरात्रि का प्रारम्भ करना भक्तों के लिए शुभ फलदायी रहेगा।

Shardiya Navratri 2022 कलश स्थापना विधि

शारदीय नवरात्रि  (Shardiya Navratri 2022) 26 सितम्बर से प्रारम्भ हो रही है। शारदीय नवरात्रि में व्रत एवं माँ दुर्गा के स्वरूपों के पूजा प्रारम्भ करने से पहले कलश स्थापना की जाती है। यदि आप नवरात्रि में घर पर कलश स्थापना करना चाहते हैं, तो पूजा स्थान के पास ही कलश स्थापना करें।

स्थान सुनिश्चित कर लें और वहां पर साफ़- सफाई कर के गंगा जल छिड़क लें, जिसके बाद एक मुट्ठी बालू लेकर बेदी बना लें और उसके ऊपर थोड़े से जौ डाले और थोडा सा पानी छिड़क कर कलश को उसके ऊपर रख दें। पूजा कलश में मौली लपेटकर गंगा जल समेत अन्य नदियों का जल भर लें और उसमें मुद्रा के रूप में कुछ सिक्के डाल दें और उसके ऊपर एक नारियल लाल कपड़े में लपेटकर रख दें।

माँ दुर्गा की स्थापना के लिए देवी माँ की एक प्रतिमा लें और उन्हें चुनरी, चढ़ाकर माँ को सिन्दूर, माला आदि चढ़ाकर स्थापित करें। माँ दुर्गा को वस्त्र, सुहाग की सामग्री आभूषण और सृंगार अर्पित करें।

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Shardiya Navratri 2022 नौ दिनों तक पूजा

नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ स्वरुप की पूजा नौ दिनों तक की जाती है। यह त्यौहार अश्विव मास की प्रतिपदा से प्रारम्भ होकर नौ दिनों तक चलता है। दसवें दिन माँ की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। पहले दिन घटस्थापना तथा माँ की प्रतिमा की स्थापना से नवरात्रि प्रारम्भ होती है। नवरात्रि में कलश स्थापना के बाद घर में माँ की पूजा के लिए अखंड ज्योति स्थापित की जाती है जो कि नौ दिनों तक जलती रहती है। पहले दिन से दुर्गा सप्तशती एवं दुर्गा चालीसा से पूजा प्रारम्भ की जाती है।

नवरात्रि में माँ के सभी स्वरूपों को फल, दूध, मिष्ठान और हलवा पूड़ी का भोग लगाएं। भक्त नौ दिनों तक शक्ति एवं सिद्धि प्राप्ति के लिए व्रत रखते हैं तथा फलाहार का सेवन करते हैं। कलश स्थापना के दिन माँ नवदुर्गा के प्रथम स्वरुप माँ शैलपुत्री की आराधना की जाती है। उसके बाद क्रमशः माँ ब्रम्ह्चारिणी, माँ चन्द्रघंटा, माँ कुष्मांडा, माँ स्कंदमाता, माँ कात्यायनी, माँ कालरात्रि, माँ महा गौरी और माँ सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है। इसके बाद दशमी को माँ की प्रतिमा का विसर्जन करने के बाद भक्त अपने नौ दिनों के व्रत का महापारण करते हैं।

Shardiya Navratri 2022

माँ दुर्गा के नौ स्वरुप एवं उनके मंत्र  

  • माँ शैलपुत्री – नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। माँ शैलपुत्री पर्वतराज हिमांचल की पुत्री थीं। इसलिए उनके उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। माँ शैलपुत्री बैल के वाहन पर सवार होती हैं। उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल होता है।
    माँ शैलपुत्री पूजा मंत्र –
    वन्दे वांछितलाभाय, चंद्रार्धकृतशेखराम्‌।
    वृषारूढां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥
  • माँ ब्रम्हचारिणी – नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रम्हचारिणी की पूजा की जाती है। माँ ब्रम्हचारिणी ने पार्वती के रूप में जन्म लिया और भगवान शिव की को प्राप्त करने के लिए कठिन तप किया। इसलिए इन्हें ब्रम्ह्चारिणी कहा जाता है। माँ ब्रम्हचारिणी एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में कमण्डल धारण करती हैं।
    माँ ब्रम्ह्चारिणी मंत्र-
    दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
    देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
  • माँ चंद्रघंटा – नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। माँ के मस्तक पर आधा चंद्रमा विराजमान है। जिसके कारण उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। माँ चन्द्रघंटा माँ चंद्रघंटा शेर पर सवार हैं और उनके 10 हाथ होते हैं। जिसमे वह विभिन्न अस्त्र धारण करती हैं।
    माँ चंद्रघंटा –
    पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
    प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।
  • माँ कूष्मांडा –  नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा की जाती है। माँ कुष्मांडा ने इस समस्त ब्रम्हांड की रखना की थी। जिस कारण से उन्हें कूष्मांडा कहा जाता है। माँ कूष्मांडा सिंह पर सवार होती हैं। इनके आठ भुजाएं हैं। उन्होंने अपने हाथों के चक्र, गदा, बाण आदि धारण किया है।
    माँ कूष्मांडा मंत्र –  
    सुरासंपूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च।
    दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।।
  • माँ स्कंदमाता – नवरात्रि के पांचवें दिन माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भगवान शिव के (छह मुख वाले) पुत्र कार्तिकेय की माता हैं। इस कारण से उन्हें स्कन्दमाता कहा जाता है। स्कन्द माता की चार भुजाएं हैं, जिनमें से एक से उन्होंने अपने पुत्र को कपड़ा है और बाकी तीन भुजाओं में कमल का पुष्प धारण करतीं हैं।
    स्कन्द माता मंत्र –
    सिंहासनगता नित्यं, पद्माश्रितकरद्वया।
    शुभदास्तु सदा देवी, स्कंदमाता यशस्विनी।।  
     
  • माँ कात्यायनी – नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। माँ कात्यायनी ने महर्षि कात्यायन की पुत्री के रूप में जन्म लिया था। जिस कारण से उन्हें कात्यायनी कहा जाता है। माँ कात्यायनी का रंग सोने की तरह चमकीला है और उनकी चार भुजाएं हैं।
    माँ कात्यायनी मंत्र –
    चंद्रहासोज्ज्वलकरा, शार्दूलवरवाहना।
    कात्यायनी शुभं दद्यात्, देवी दानवघातनी।।
  • माँ कालरात्रि – नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। माँ कालरात्रि का स्वरुप रात्रि के समान एकदम काला है। इस कारण से इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। वह अशुरों का नाश करने वाली हैं। इनके चार भुजाएं और तीन नेत्र हैं और यह गर्दभ अर्थात गधे पर विराजमान होती हैं।
    माँ कालरात्रि मंत्र-
    एकवेणी जपाकर्ण, पूरा नग्ना खरास्थिता।
    लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी, तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
    वामपादोल्लसल्लोह, लताकंटकभूषणा।
    वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा, कालरात्रिभयंकरी।।
  • माँ महागौरी – नवरात्रि के आठवें दिन महाअष्टमी को माँ महागौरी की पूजा की जाती है। माँ महागौरी का स्वरुप गौर है। उनके वस्त्र आभूषण भी सफ़ेद हैं। जिस कारण से उन्हें महागौरी कहा जाता है। माँ महागौरी बैल पर विराजमान होती हैं। इनके चार भुजाएं हैं।
    माँ महागौरी मंत्र –
    श्वेते वृषे समारूढा, श्वेताम्बरधरा शुचि:।
    महागौरी शुभं दद्यात्, महादेवप्रमोददाद।।
  • माँ सिद्धिदात्री – नवरात्रि के नौवे या अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। माँ सिद्धिदात्री सिद्धियों को देने वाली हैं। इस कारण से उन्हें सिद्धिदात्री कहा जाता है। माँ सिद्धिदात्री सिंह पर विराजमान होती हैं उनके चार भुजाएं हैं जिनमे वह कमल पुष्प, चक्र, शंख और गदा धारण करती हैं।
    माँ सिद्धिदात्री मंत्र-
    सिद्धगंधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि।
    सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

Shardiya Navratri 2022 कब है ?

26 सितम्बर 2022 से 4 अक्टूबर 2022 तक

Shardiya Navratri 2022 अष्टमी कब है ?

3 अक्टूबर 2022 को

Shardiya Navratri 2022 कलश स्थापना का मुहूर्त क्या है?

26 सितम्बर को सुबह 6 बजकर 11 मिनट से सुबह 7 बजकर 51 मिनट तक

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