श्रीलंका के नए राष्ट्रपति ने अंधेरे में ली शपथ, अब CID करेगी जांच
Sri Lanka Crisis : आर्थिक संकट से जुझ रहे श्रीलंका में काफी बवाल के बाद अब नए राष्ट्रपति की नियुक्ति हो गई है। 73 साल के विक्रमसिंघे ने गुरुवार को राष्ट्रपति पद की शपथ ली। चीफ जस्टिस जयंत जयसूर्या ने संसद भवन परिसर में 73 साल के विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। बता दें कि विक्रमसिंघे श्रीलंका के आठवें राष्ट्रपति बने हैं।

लाइव प्रसारण अचानक बंद | Sri Lanka Crisis
मजे वाली बात ये है कि शपथ ग्रहण समारोह के दौरान बिजली ही कट गई जिससे कि लाइव प्रसारण अचानक बंद हो गया। ऐसे में विक्रमसिंघे के शपथ समारोह को जनता ने लाइव नहीं देखा और सारी तैयारियां व्यर्थ हो गई। वहीं अधिकारियों ने इस घटना की जांच CID से कराने का फैसला किया है।
शपथ ग्रहण समारोह के दौरान बिजली गुल
रिपोर्ट्स के मुताबिक, विक्रमसिंघे के शपथ ग्रहण समारोह का सरकारी चैनल ‘रूपवाहिनी’ पर लाइव टेलिकास्ट होना था। साथ ही बाकी के टीवी चैनलों पर भी शपथ समारोह को लाइव दिखाया जाना था। हालांकि राष्ट्रपति के रेड कार्पेट पर संसद परिसर में घुसते ही लाइव टेलिकास्ट बंद हो गया। ऐसा इसलिए हुआ कि संसद परिसर में बिजली गुल होने के कारण सीधा प्रसारण रोक दिया गया था।
10 मिनट तक नही आई बिजली
बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के समय लगभग 10 मिनट के लिए बिजली बंद हुई थी, जिसके चलते टीवी चैनल शपथ ग्रहण समारोह का प्रसारण नहीं कर पाए। ऐसे में साजिश की आशंका गहरी हो जाती है क्योंकि प्रदर्शनकारी विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति बनने से खुश नहीं हैं।
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इस दिन दिलाई जाएगी कैबिनेट को शपथ
रिपोर्ट्स के मुताबिक, विक्रमसिंघे के मंत्रिमंडल को शुक्रवार को शपथ दिलायी जाएगी। मंत्रिमंडल में राजपक्षे परिवार के करीबी दिनेश गुणेवर्दना समेत वही नेता शामिल किए जाएंगे जो विक्रमसिंघे के कार्यवाहक राष्ट्रपति (Sri Lanka Crisis) रहने के दौरान कैबिनेट के सदस्य थे। गुणेवर्दना को अगला प्रधानमंत्री चुना गया है। कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय सरकार पर सहमति बनने तक पिछला मंत्रिमंडल काम करता रहेगा और इसके बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल होगा।
6 बार रह चुके हैं प्रधानमंत्री
विक्रमसिंघे छह बार देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। लेकिन राष्ट्रपति पद पर वे पहली बार आए हैं। पिछले आम चुनाव में उनकी पार्टी को संसद में सिर्फ एक सीट मिली थी। इसके बावजूद सरकार विरोधी आंदोलन से बढ़ते दबाव के बीच गोतबाया राजपक्षे ने पिछले छह मई को उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया। आम धारणा रही है कि प्रधानमंत्री के रूप में विक्रमसिंघे आर्थिक संकट (Sri Lanka Crisis) हल करने की दिशा में एक भी ठोस पहल नहीं कर सके।